मंगलवार, 20 मार्च 2018

अपनी नादानी पर

अपनी नादानी पे नादान अड़ा रहता है
सिर्फ़ अपनी ही नज़र में वो बड़ा रहता है ।

क्या इरादा है समझ खुद नहीं पाता अक्सर,
इसलिए दूर, अकेला ही खड़ा रहता है ।
   सूबे सिंह सुजान

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