sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
बुधवार, 2 अगस्त 2017
शेर
हम समझ जायें जहाँ को, ये जरूरी तो नहीं
आज तक हम पास बैठों को समझ पाये नहीं ।
सुजान
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