गुरुवार, 11 अगस्त 2011

गजल-3 सीने में आग-गजल संग्रह से

तुम्हारा होके जब कोई तुम्हारा दिल दुखायेगा
तुम्हें उस पल हमारा प्यार फिर से याद आयेगा
किसी से प्यार कर लो और उसके साथी बन जाओ
यही दौलत है जीवन की इसी से चैन आयेगा
कोई इन्सान तन्हाई में खुश रहता नहीं लेकिन
मुहब्बत में अकेला बैठ कर भी मुस्कुरायेगा
बहुत खुश है लगाकर आग अब तू दूसरों के घर
तेरा भी घर जलेगा जब,तो फिर कैसे बुझायेगा
मुझे चाहे भुला देना मगर ये याद रखना तुम
मैं जितना चाहता हूँ तुमको,इतना कौन चाहेगा

                            सूबे सिहं सुजान

विशेष- मेरे गजल संग्रह से यह गजल मेरे दिल के बहुत नजदीक है
और बहुत ही गेय है मैं इसको जगजीत सिंह जी की धुन पर गाता हूँ
आप भी इसी धुन पर गा कर देखिये...........

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